19 नवम्बर, विचारों में अद्भुत दृढ़ता की जीवन्त मिसाल थीं पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती ईन्दिरा गांधी जी ।
*उक्त विचार आज ईंगलिसियालाईन स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउन्डेशन की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री आईरन लेडी श्रीमती इन्दिरा के जन्मदिवस दिवस पर आयोजित विचार गोष्ठी में वक्ताओं द्वारा ब्यक्त किया।
गोष्ठी में विचार रखते हुये वक्ताओं ने कहा कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा जी में वैचारिक दृढ़ता और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता थी, जिसके चलते उनके द्वारा लिये गये तमाम बड़े निर्णय देश के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुये , जिनमें भारत बांग्लादेश वार , पाकिस्तान के दो टुकड़े कर देना, पाकिस्तानी सैनिकों से हथियार डलवाना, और फिर उन्हें अन्तराष्ट्रीय युध्द नियमों के अनुसार पाकिस्तान को सौप देना , राजे महाराजाओं के प्रीवी पर्श को समाप्त करना, बैंको का राष्ट्रीय करण, देश के किसानों और आम लोगों के लिये बैंको के दरवाजे खोल कर हरित क्रान्ति और मझोले और कुटीर उद्योगों को बढ़वा देना, गरीबी हटाने का ध्रुव संकल्प लेना, देश तोड़ने की साजिस के खिलाफ कुछ समय के लिये देश में एक नयी संवैधानिक ब्यवस्था लाना, आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक जंग लड़ते लड़ते हुये खुद की आहुति दे देने जैसे कुछ ऐसे ऐतिहासिक कदम थे जिसने उन्हें सचमुच में आइरनलेडी का खिताब दिलवाया था । इसके अलावा उन्हों ने अपने प्रधान मंत्रित्व काल में अपने यशश्वी पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के नक्शे कदम पर चलते हुये मिश्रित अर्थव्यवस्था के तहत देश के चहुंमुखी विकास और आम आदमी की बेहतरी के लिये उठाये गये तमाम कल्याण कारी कदमों से देश के सम्मान को विश्व स्तर पर बढ़या था ।
उनके महान ब्यक्तित्व और कृतित्व तथा राष्ट्र के लिये कई गयी अमूल्य सेवाओं को और देश की एकता अखण्डता तथाभाईचारे को कायम रखने के लिये किये गये उनके महान बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र और आने वाली पिढ़ियां कभीं विस्मृत नहीं कर पायेंगी , भले कुछ नकारात्मक सोच वाले छुद्र राजनैतिक मानसिकता वाले लोग उनके ब्यक्तित्व और कृतित्व पर कितने भी किन्तु परन्तु क्यों न लगाते रहें ।
* गोष्ठी प्रारंभ पूर्व इन्दिरा जी के चित्र पर माल्यार्पण के माध्यम से श्रध्दा सुमन अर्पित किया गया।*
*विचार गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ राजनैतिक और समाज सेवी श्री विजय शंकर पान्डेय ने और संचालन फाउंडेशन के सचिव श्री बैजनाथ सिंह ने किया, गोष्ठी में सर्व श्री राधेश्याम सिंह, एडवोकेट राधेलाल श्रीवास्तव, एडवोकेट प्रभूनाथ पान्डेय, एडवोकेट श्री भूपेन्द्र प्रताप सिंह, मनोज चौबे, हरेन्द्र शुक्ल, डाक्टर प्रेमशंकर पान्डेय, आनन्द मिश्रा, ब्रह्मदेव मिश्रा, अशोक कुमार पान्डेय, संजय तिवारी, निशांत ओझा, ज्वाला मिश्रा, एडवोकेट पंकज मिश्रा, पुनीत मिश्रा, कमलाकान्त पान्डेय, , रविकान्त दूबे, मोहम्मद अरशद, शुभम राय , उदय सिंह, युवराज पान्डेय, गौरव पान्डेय पिन्टू शेख आदि ने भी अपने विचार प्रकट किये ।*
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