आखिर अचानक कैसे बीमार हो गया संजय सिंह जिसे अस्पताल में करना पड़ा भर्ती, फिर रात को चला गया घर

वाराणसी।यूपी पुलिस कब किस पर मेहरबान हो जाए यह कोई नहीं जान सकता, भले वह माफिया हो, गुंडा हो या नाबालिक लड़की से दुराचार के मामले में पास्को का आरोपी हो। पीड़िता इंसाफ के लिए भले ही अदालत एवं थाने के चक्कर लगाते रहे पर होगा साहब वही जो चाहेगी उत्तर प्रदेश पुलिस, जी हां।
आइए जानते है पूरी कहानी सिलसिलेवार, 
पूरा मामला वाराणसी के शिवपुर थाना क्षेत्र का है, जहां एक नाबालिक पीड़िता ने अदालत से न्याय की गुहार लगाते हुए दुराचारी आरोपी रहस्यमई बाबा संजय सिंह के खिलाफ 4 सितंबर 2024 में मुकदमा  दर्ज कराई थी। जिसमें संजय सिंह सहित 8 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। पीड़िता पुलिसिया मिली भगत से परेशान होकर उसने अदालत से गुहार लगाई कि उसका दूसरे थाने से विवेचना कराई जाए लेकिन उसको मालूम होना चाहिए कि पुलिस तो यूपी की ही है, लेकिन हुआ वही जो आरोपी चाहता था।विवेचना के नाम पर सारनाथ पुलिस ने 16 मई को सुबह करीब 6 बजे आरोपी संजय सिंह बाबा को घर उठाया, पुलिस ने सारनाथ थाने में करीब 6 घंटे ज्यादा थाने पर पूछताछ के बैठाया रखा। इसके बाद प्राइवेट गाड़ी से सारनाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मेडिकल के भेजा गया जहां उसका मेडिकल हुआ फिर पुलिस की सरकारी गाड़ी बोलोरो से उसे फिर थाना लाया गया।
इसके बाद सारनाथ थाने में लिखी गई नई पटकथा ,आरोपी संजय सिंह थाने पहुंचा जहां एक नया पटकथा लिखा गया, आरोपी के पेट दर्द एवं सांस फूलने की बीमारी का मामला सामने आया। जिसके बाद आरोपी को पुलिस के अभिरक्षा में दीनदयाल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहा लगभग रात 8:30 बजे आराम मिलने पर डिस्चार्ज कर दिया गया।
अब यह सवाल उठता है कि अगर किसी पास्को आरोपी को थाने बुलाकर हिरासत में ले लिया जाता है, उसका मेडिकल कराने के बाद उसे न्यायालय में क्यों पेश नहीं किया गया? उसे क्यों दीनदयाल हॉस्पिटल में पुलिस के अभिरक्षा में एडमिट किया जाता है? फिर उसे कैसे छोड़ा जा सकता है। वहीं पूरे मामले को लेकर जब एसीपी सारनाथ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जाएगी।पूरे मामले को लेकर पीड़िता ने कहा कि मुकदमा लिख जाने के बावजूद भी इसकी जांच सही से नहीं हो रही है। जिसको लेकर मैं कोर्ट में गुहार लगाई थी और विवेचक बदलने की मांग की थी लेकिन सारनाथ पुलिस द्वारा आरोपी को हिरासत में लेने के बाद छोड़ देना कहीं न कहीं से पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठता है, मैं मांग करती हूं कि आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।

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