मुगलसराय/ दुल्हीपुर 25 दिसंबर। क्रिसमस दिवस पर प्रभु यीशु मसीह का जन्म एवं भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह के पुण्य स्मृति में ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा द्वारा दुल्हीपुर स्थित केंद्रीय कार्यालय पर आयोजित विश्वकर्मा उत्कर्ष विमर्श सम्मेलन में प्रभु यीशु मसीह एवं भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की पुण्य स्मृति में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए विश्वकर्मा वंश के दोनों महान विभूतियों को याद किया गया। वक्ताओं ने कहां प्रभु यीशु मसीह समूची मानवता के लिए प्रेम, दया, करुणा, त्याग और क्षमा के प्रतिमूर्ति थे।वहीं ज्ञानी जी स्वाभिमान, सिद्धांत एवं संघर्ष के प्रतीक थे। वक्ताओं ने महान स्वतंत्रता सेनानी भारत के सातवें राष्ट्रपति स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह का देश के लिए किए गए योगदान और संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा स्वतंत्रता संग्राम में बर्बर यातनाओं को सहते हुए अनगिनत बार जेल यात्रा के चलते ज्ञानी जी जरनैल सिंह से जेल सिंह का पर्याय बन गए। ज्ञानी जी आध्यात्मिक एवं समतामूलक विचारधारा वाले जमीनी राजनेता थे। उनके द्वारा लिए गए निर्णय ऐतिहासिक हैं। वक्ताओं ने सामाजिक एकजुटता पर बल देते हुए समाज के सर्वांगीण विकास, सामाजिक न्याय, समानता, भागीदारी और जातीय स्वाभिमान के लिए संगठित होकर संघर्ष करने का आह्वान किया तथा समाज विरोधी ताकतों का बहिष्कार करने का ऐलान किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने कहा मौजूदा सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में समाज के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। आज लोग विचारधारा और सिद्धांत की नहीं सत्ता की राजनीति करना चाहते हैं। निजी स्वार्थ लाभ के लिए राजनीतिक दल और नेताओं की गुलामी करने से व्यक्ति विशेष का भला हो सकता है, लेकिन समाज का भला और विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा दलीय निष्ठा रखने वाले कुछ लोगों ने समाज को ठगने का काम किया है। समाज को उसके मताधिकार के बदले सामाजिक और राजनीतिक अधिकार हासिल नहीं हुआ।उन्होंने कहा महासभा समाज के प्रति निष्ठावान है। उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता सामाजिक न्याय का अधिकार और संख्या के अनुपात में भागीदारी हासिल करना है। उन्होंने कहा भाजपा ने सबसे ज्यादा समाज को ठगने और धोखा देने का काम किया है। विश्वकर्मा पूजा के अवकाश को रद्द किया, शैक्षणिक पाठ्यक्रम में भगवान विश्वकर्मा के जीवन चरित् को शामिल करने की बात कह कर उसे लागू नहीं किया, समाज के परंपरागत कारीगर आर्थिक तंगी और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। महासभा सरकार से मांग करती है कि ज्ञानी जैल सिंह के नाम पर स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय एवं राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा हो, तथा विश्वकर्मा शिल्पकार समाज के आर्थिक विकास के लिए माटी कला बोर्ड की भांति शिल्प कला बोर्ड की स्थापना की जाए। सम्मेलन की अध्यक्षता ओंकार नाथ विश्वकर्मा एवं संचालन सतनाम सिंह ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉक्टर प्रमोद कुमार विश्वकर्मा, नंदलाल विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा एडवोकेट, चंद्रशेखर विश्वकर्मा, दीनदयाल विश्वकर्मा, दिनेश विश्वकर्मा, चंद्रिका विश्वकर्मा, धर्मेंद्र विश्वकर्मा,दिनेश विश्वकर्मा दिघवट, गोविंद विश्वकर्मा, रामकिशुन विश्वकर्मा, , प्रेमचंद्र विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, अमरनाथ विश्वकर्मा चौधरी, प्रेमचंद विश्वकर्मा कवि जी, महेंद्र विश्वकर्मा, मृत्युंजय विश्वकर्मा,श्याम जी विश्वकर्मा, जय किशन विश्वकर्मा, जगनारायण विश्वकर्मा, जग्गू लाल विश्वकर्मा,डॉ भारत भूषण, शर्मा, लक्ष्मण विश्वकर्मा, शमशाद भाई, राजेंद्र प्रसाद, वासुदेव विश्वकर्मा, फैयाज अहमद, शुजात अली, दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा, केदारनाथ विश्वकर्मा, हरिहर शर्मा, फैयाज अहमद एडवोकेट,सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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