देश के विभिन्न नगरों और काशी से पधारे भाईयो और बहनों, वाराणसी से संवाददाता अभिषेक दुबे की रिपोर्ट

डॉ. राजेंद्र प्रसाद पाण्डेय की स्मृति में हो रहे इस आयोजन में आपका स्वागत करते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है, लेकिन मन के टीस भी हो रही है की वे यहां नहीं हैं। 
वे होते तो 75 वर्ष के होते। उनके मन में। काशी में इस तरह के आयोजन की संकल्पना थी। कुछ आयोजन उन्होंने किए भी थे जिनमें आपलोग में से कुछ लोग उपस्थित रहे होंगे। वे नांदी सेवा ट्रस्ट बनाकर साहित्य की सेवा करना चाहते थे, लेकिन ईश्वर शायद कुछ लिख दिया था हमारे भाग्य में। उनकी कुछ पुस्तकें उनके जीवन काल में आ गई थी, लेकिन कई उन्होंने तैयार तो कर ली थीं, लेकिन उनकी अस्वथता के चलते वे प्रकाशित न हो सकी। उनके न रहने पर लगा की जैसे मेरा जीवन भी खत्म होगया, लेकिन मेरे दोनों बेटों ने कहा कि मां ऐसा न सोचो, पिता जी के अधूरे सपने पूरे करो।
उनकी अप्रकाशित किताबों को प्रकाशन के लिए तैयार करवाओ।
हम दोनो हमेशा आपके साथ खड़े रहेंगे। बेटों ने ऐसा कहा तो मुझे भी लगा कि जीवन अभी खत्म नहीं हुआ है। जब तक पाण्डेय जी थे, उनके साथ मैं भी साहित्य और बड़े छोटे साहित्यकारों के बीच में ही थी, लेकिन पार्श्व में। पढ़ती लिखती रहती थी, पर सामने कम ही लोग के आते थी । वैसे कुछ पारिवारिक मित्र भी आज पाण्डेय जी के इस अमृत जन्मोत्सव में शामिल हैं।
नांदी सेवा न्यास प्रति वर्ष  25 जून को इस तरह का आयोजन करे, ऐसा इरादा है।
इस अवसर पर न्यास हर साल हिंदी, संस्कृत तथा भारतीय भाषाओं से चुनें गए 2 साहित्यकारों को सम्मानित-पुरुस्कृत भी करे, ऐसी ही योजना है। काशी इस देश की सांस्कृतिक राजधानी रही है और आज यह माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का संसदीय क्षेत्र भी है। ऐसे में सम्मानित और पुरुस्कृत होने वाले लोगों का राष्ट्रीय स्तर मान्य होना जरूरी है, जिनका चुनाव देश के प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा किया जाना तय पाया गया। बड़ा बेटा कीर्तिरत्न आयरलैंड से इस आयोजन की संपन्न कराने के लिए आया है और छोटा यशोरत्न पिता के हर अधूरे काम को पूरा करने के लिए सचेष्ट रहता है।
आप सब पाण्डेय जी को चाहने वाले है। समय निकाल कर इस आयोजन में पधारे हैं,मैं सबका स्वागत करती हूं।
दो दिन के चार सत्रों में बहुत कुछ होगा, जिसमे आप सब भाग लेंगे ही,कुछ और लोग आज शाम तक आजाएंगे जिनसे कल भेंट होगी। इस प्रकार राजेंद्र प्रसाद पाण्डेय जी के पुत्र श्री यशोरत्न पाण्डेय जी ने एक बार फिर आपका स्वागत और अभिवादन।
                                         शशि कला पाण्डेय

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